।। हरि ॐ तत्सत ।।

ध्यानके सिद्धयोग प्रेरित मार्ग में आपका स्वागत है।

यह वेबसाइटकी मुलाक़ात के लिए आपके समय का सम्मान करते हुए हम ह्रदयपूर्वक आपको धन्यवाद प्रदान करते हे।

अपनी इस साइबर यात्रा के दौरान, ध्यानपूर्ण जीवन के विभिन्न पहलुओं का पता लगाएं और आनंदपूर्ण विश्रामकी अनुभूति करें।

हमारे सिद्धयोग परिवार में, प्राचीन योगीजनों प्रेरित परंपरा द्वारा अर्जित ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अभिगमका नूतन समन्वय किया गया है । हमें यकीन है कि हमारा अद्वितीय दृष्टिकोण आपको वर्तमान समयमें ही पूर्णता के प्रति गमन करने में मार्गदर्शक होगा ।

 

सिद्धयोग क्या है ?

सिद्धयोग क्या है यह समझने के लिए कि हमें इस शब्द को तोड़ना होगा जो की दो शब्दों, सिद्ध और योग को जोड़के बना हुआ एक शब्द है।

सिद्ध ’शब्द का  अर्थ है प्रमाणित प्रणाली या परंपरा।

‘योग’ शब्द संस्कृत के ‘यूज ‘ धातु से आया है, जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना को वैश्विक दिव्य चेतना से जोड़ना।

इसलिए, सिद्धयोग शब्द का सहज अर्थ यह किया जा सकता है कि व्यक्ति की चेतनाको एक प्रमाणित प्रणाली द्वारा वैश्विक दिव्य चेतनाके साथ जोड़ना।

कुंडलिनी

कुंडलिनी यह रीढ़की हड्डीवाले प्राणी मात्र में निर्वासित दिव्य चेतना का स्रोत है।

आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए, दिव्य चेतना के इस स्रोत के वास्तविक रूप को समझना आवश्यक है ताकि मनुष्य अपने आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन को विकसित और संतुलित कर सके।

जैसे जैसे आप इस वेब साइट पर प्रस्तुत ध्यान योगके विषयको समझने की कोशिश करेंगे वैसे ही आपको इस दिव्य चेतना स्रोत के व्यावहारिक और स्पंदनमय पहलुओं के समझ मिलती जाएगी।

सदगुरु विभाकर पंड्या

वास्तविक जीवनमें ऐसे सदगुरु से मिलना बहुत मुश्किल है जो साधककी  चेतना को उर्ध्वगामी कर सकता है। श्रीमान विभाकर पंड्या यह ऐसे ही एक सदगुरु है ।

आपकी पहचान सादगी, विशेषज्ञ और प्रत्येक इंसानके प्रति निस्वार्थ प्रेमकी वर्षा, यही शब्दोंसे दी जा सकती है ।

वास्तव में, सद्गुरुको साधक द्वारा नाम से संबोधित नहीं करना है ऐसी एक प्राचीन परंपरा हे। यह कहनेसे तात्पर्य है कि आध्यात्मिकता के गहन और रहस्यमय विषयमें सदगुरु का यह विशेष ज्ञान साधकगणको  विनम्र भावसे उनके पास बैठकर ग्रहण करना है।

आधुनिक मार्ग-दर्शक

जैसे गुरु वैसे शिष्य

सद्गुरु विभाकर पंड्या द्वारा प्रत्यक्ष रूपसे दीक्षित और शिक्षित, श्रीमान विशाल भाई पंड्या यह सिद्धयोग साधन मंडलको इक्कीसवी सदीके आविष्कारपूर्ण नेताके रूपमे मिली हुई एक भेट है।

सदगुरु दो हजार छहमें ब्रह्म चेतना में विलीन हुए थे। अपने ब्रह्मलीन होने से पहले, उन्होंने अपना पूरा अनुभव और ज्ञान श्रीमान विशाल भाई में संचारित किया था ताकि आने वाली पीढ़ी इस दिव्य ज्ञान की विरासत से वंचित न रहे।

पूज्य विशाल भाई वर्तमान में टोरंटो, केनेडामें रहते हैं और सिद्ध योग साधन मंडलके आंतर राष्ट्रीय और राष्ट्रीय साधकों की योग विषयक जिज्ञासा को संतुष्ट करने के लिए लगातार काम करते हैं। किसीभी साधक को योग के बारे में जिज्ञासा हो वे श्रीमान विशाल भाई से व्यक्तिगत, फोन या ईमेल के माध्यम द्वारा संपर्क कर सकते है।

क्या है शक्तिपात

शक्तिपात भारत की प्राचीन सिद्ध योगियों द्वारा खोजी गई एक अद्भुत प्रणाली है। इस प्रणालीमें सिद्ध गुरु अपने वर्षों की तपश्चर्या द्वारा अर्जित ऊर्जा के एक अंशको साधकके प्रति संचारित कर उनकी शक्ति को उर्ध्वगामी कर साधककी साधनाकीय वाधाएँ दूर करनेमें एक महत्वपूर्ण कड़ी बन जाता है। यह प्रणाली पूरी तरह से वैज्ञानिक और सुरक्षित है। हमने सुरक्षा की बात क्यों की? क्योंकि योग के मार्ग में साधक प्रत्यक्ष मौत के साथ खेल करता है। यदि कोई अनुभव के बिना योग मार्ग पर चलनेका साहस करता है, तो वह नव सीखिये साधक के लिए जोखिम का कारण साबित हो सकता है।

वर्तमान में, जो लोग योग की इस पद्धति के जानकार होने का दावा बहोत कुछ कुछ लोग करते हैं, अपितु साधककी शक्ति को प्रत्यक्ष रुपसे उर्ध्वगामी करने की क्षमता रखने वाले सिद्ध गुरुओं को खोजना घासमें से सुई खोजने के समान है।

सिद्धयोग परंपरा की सारभूत शिक्षा

प्राचीन सिद्धयोग परंपरा एवं वर्तमान समय की मांग को समझते हुए, सिद्ध योगी श्री विभाकर पंड्या ने आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले साधकों के लाभ के लिए आत्म-साक्षात्कार का एक वैज्ञानिक मार्ग तैयार किया है।

यह मार्ग ध्यान मार्ग की दीक्षा जैसे प्रारम्भिक विषय से शुरू कर विभिन्न उन्नत और उच्च स्तर के शिविरों से बनाय गया है। इस मार्गका एकमात्र उद्देश्य साधक को समाज और परिवार के बीच रहकर आध्यात्मिक पथ पर चलते चलते समाजको उपयोगी बन योग के इस पवित्र और अमूल्य ज्ञानप्रवाह को जीवित रखना है।

इस मार्ग के बारेमें संक्षिप्तमें समझाने के लिए कहा जा सकता है कि यदि साधक यह मार्ग पर नियमित रूप से निर्धारित अभ्यास छह साल की अवधि तक करता है, तो आत्म-प्रयास, गुरु-कृपा और भगवद-कृपा के निमित्त साधन के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार के करीब पहुंच सकता है।