|| हरि ૐ तत्सत ||

श्री सिद्धयोगाश्रम

|| हरि ॐ तत्सत् ||

सर्वेत्र सुखिन सन्तु…

इस मानवीय मूल्य को साकारित करने के लिए सिद्धयोगी श्री विभाकर पंड्या ने अपने अनुभवों के आधार पर साधकोंके हित में योग साधना हेतु मार्ग दर्शन का एक संकल्प किया था. इस के पीछे उनकी एक उच्च भावना यह थी कि उन्होंने योग के इस विषय को समझने के लिए जितना समय निकाला, उतना समय बरबाद करने की हर एक साधक को कोई आवश्यकता नहीं है. प्रारंभ में श्री विभाकर पंडयाने साठ और सत्तर के दशकोमें ध्यान योग और कुंडलिनी योग के व्यावहारिक पहलुओं को समझाने के लिए छोटे छोटे शिविरों के रूप में गुजरात में इस गतिविधि की शुरुआत की. वर्तमान में यह गतिविधि एक विशाल अभियान में बदल गई है.  इस गतिविधि के बढ़ते विस्तार को पूरा करने के लिए, उन्होंने उन्नीसो छहतरमें “सिध्द योग साधन मंडल” नामक संस्थाकी नींव डाली थी. इस संस्था द्वारा आयोजित विभिन्न योग शिविरों और कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां देखें

प्रारंभ में, इस गतिविधि को अलग-अलग स्थानों में  शुरू किया गया था और इसी कारण साधकों को स्थायी रूप से एक स्थान पर साधना के लिए माहौल नहीं मिल सकता था. वर्तमान में साधकगण अत्यंत भाग्यशाली हैं क्योंकि पिछले आठ वर्षों से गुजरात के दरौली, भरूच में भारत में श्री सिद्धयोगाश्रम का अनावरण इस उद्देश्य के लिए स्वाभाविक रूपसे हुआ है.

वर्तमान में  श्री विशालभाई पंड्या इस आश्रम का सुचारु रूपसे संचालन करते हैं और वर्ष के दौरान विभिन्न योग शिविरों का  सहज मार्गदर्शन करते हैं.  श्री विशाल भाई के मार्गदर्शन में, आश्रम में विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी परियोजनाओं को भी मानवतावादी दृष्टिकोणके आधार पर सफलतापूर्वक पूरा किया जाता है ।

जो साधक अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए अपनी चेतना को ऊपर उठाना चाहते हैं, उन्हे अपने जीवनकाल में शांति, आनंद और खुशी का अनुभव करने के लिए कम से कम एक बार आश्रम आने का विनम्र अनुरोध हैं। आश्रम में प्रायोजित विविध कार्यक्रमों की अधिक जानकारी के लिए यहाँ देखें

जो साधक निकट भविष्य में आश्रम की यात्रा करना चाहते हैं, वे अपने आने की तिथि और समय, कितने दिन और कितने लोग मुलाक़ात लेने वाले है इस बारे में कृपया यह ईमेल पर शीघ्र ही जानकारी दे. इससे हमें साधकगणकी तीर्थयात्राका सुचारु रूपसे आयोजन करनेमें आसानी होगी

|| हरि ॐ तत्सत ||

|| हरि ૐ तत्सत ||