|| हरि ૐ तत्सत ||
आद्य गुरु भगवान श्री कृष्ण
महाभारत और भगवद गीता के माध्यम से भगवान कृष्ण के व्यक्तित्व से दुनिया अच्छी तरह वाकिफ है। किंतु, भगवान कृष्ण की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि और क्षमता से पूरी दुनिया अनजान है। भगवान श्री कृष्ण की यह उपलब्धि दर्शनशास्त्री व सूक्ष्म आंतरिक योग के विशेषज्ञ के रूपमे थी ।
सिध्ध योग साधन मंडल के सभी साधकोंके जीवन में सदगुरु विभाकर पंड्याका आगमन भी भगवान कृष्ण के यह आंतरिक योगकी शिक्षा और दीक्षा प्रदान हेतु ही हुआ था। शक्ति पात की कृपा से सदगुरु ने हजारों साधकोकी चेतना को ईश्वरीय चेतना से जोड़ने में एक अमूल्य योगदान दिया है।
इसी कारण से हम सभी सिध्ध योग साधन मंडलके साधक भगवान कृष्ण को केवल भगवान के रूप में नहीं पूजते, बल्कि आंतरिक योग के गुरु के रूप में भी पूजते हैं।
सद्गुरु विभाजक पंड्या द्वारा प्राप्त भगवान कृष्ण के इस दिव्य ज्ञान के लिए साधकगण सदगुरुका सदैव कृतार्थ रहेगा।